इसी वित्तीय वर्ष से संस्थान को चालू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
यह संस्थान लोकतंत्र के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा।
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण के नेतृत्व में उत्तराखंड विधान सभा परिसर, भराडीसैंण, गैरसैंण में एक अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जाएगी। यह निर्णय भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा 18 मई, 2015 को उत्तराखंड दौरे के दौरान दिए गए सुझाव के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने संसदीय अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
वर्ष 2022 में ऋतु खण्डूडी भूषण ने विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद, जानकारी मिलते ही “शोध संस्थान” को गंभीरता से लिया। उन्होंने पत्राचार और बैठक के माध्यम से राज्य एवं केंद्र सरकार के बीच समन्वय स्थापित किया, जिससे अब इस महत्वपूर्ण संस्थान के स्थापना की राह संभव हो सकी है। साथ हीं उन्होंने इसी वित्तीय वर्ष से संस्थान को चालू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह संस्थान लोकतंत्र की विभिन्न संसदीय प्रक्रियाओं, निकायों, और विधाओं का सुव्यवस्थित अध्ययन, शोध और प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इसके तहत, मा॰ सदस्य, कार्यपालिका के सदस्य, सरकारी अधिकारी, सिविल सेवा के सदस्य, मीडिया, गैर सरकारी संस्थाएं, विद्यार्थी, और आम नागरिक सभी शामिल होंगे।
ऋतु खण्डूडी भूषण ने बताया कि संस्थान का एक प्रमुख उद्देश्य बेहतर लोकतांत्रिक नीति निर्माण को शोध के माध्यम से बढ़ावा देना होगा। इसके माध्यम से, संसदीय लोकतंत्र के विकास में योगदान देने वाले विभिन्न पहलुओं की गहनता से समीक्षा की जाएगी। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि संस्थान विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करेगा, ताकि प्रतिभागियों को संसदीय कार्य प्रणाली और प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक किया जा सके।
ऋतु खण्डूडी ने बताया कि भविष्य में इस संस्थान द्वारा अन्य देशों के संसदीय संस्थानों के साथ साझा कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। यह पाठ्यक्रम का तुलनात्मक आदान-प्रदान, प्रशिक्षकों का पूल बनाना, और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सहायक होगा।साथ ही इस संस्थान की स्थापना से लोकतांत्रिक शासन प्रणाली और संसदीय प्रक्रियाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अध्यक्ष ने कहा कि इस संस्थान की स्थापना से न केवल गैरसैंण क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी, बल्कि यह स्थानीय आर्थिकी को भी सशक्त बनाएगी। इसके माध्यम से, पर्यटन की व्यापक संभावनाओं को उजागर किया जा सकेगा। संस्थान स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूल विकास की दिशा में एक प्रभावी उत्प्रेरक का कार्य करेगा।
अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने बताया कि यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण, महत्वाकांक्षी, बहुउददेशीय एवं बहुआयामी होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस संस्थान के माध्यम से उत्तराखंड न केवल एक शैक्षणिक केंद्र बनेगा, बल्कि एक महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक मंच भी स्थापित करेगा।
यह संस्थान लोकतंत्र के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा, जिससे न केवल स्थानीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संसदीय प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे लोकतांत्रिक संस्थानों की कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो अंततः सशक्त लोकतंत्र की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।