देहरादून: आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में मानसिक स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। कार्यस्थल की जिम्मेदारियाँ, पारिवारिक दबाव, सामाजिक अपेक्षाएँ और तकनीक पर बढ़ती निर्भरता लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही हैं। विशेष रूप से मोबाइल फोन की लत और लगातार व्यस्त रहने की प्रवृत्ति मानसिक तनाव को बढ़ा रही है। ऐसे में मनोविज्ञान की भूमिका और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक हो गया है।
• मानसिक स्वास्थ्य: एक व्यापक परिभाषा –
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, “मानसिक स्वास्थ्य केवल मानसिक रोगों से मुक्त होने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्ति की संज्ञानात्मक, भावनात्मक और सामाजिक कुशलता को भी दर्शाता है।” यह हमारे सोचने, निर्णय लेने, संबंधों को निभाने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को प्रभावित करता है। मानसिक स्वास्थ्य जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही इसे बनाए रखना चुनौतीपूर्ण भी होता जा रहा है, खासकर तब जब हमारा जीवन दिन-ब-दिन अधिक व्यस्त होता जा रहा है।
• व्यस्त जीवन और मानसिक तनाव का बढ़ता खतरा –
आज की जीवनशैली में लोग लगातार भागदौड़ में लगे रहते हैं। सुबह जल्दी उठना, ऑफिस या बिज़नेस के कार्यों में व्यस्त रहना, सोशल मीडिया पर घंटों समय बिताना और फिर रात को थककर सो जाना—यह दिनचर्या बन चुकी है। लेकिन यह व्यस्तता धीरे-धीरे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। लोग मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
• कैसे बढ़ रही है मानसिक समस्याएँ?
1. कार्यस्थल का तनाव – प्रतिस्पर्धा बढ़ने से काम का दबाव भी बढ़ा है, जिससे मानसिक थकान और तनाव महसूस होता है।
2. मोबाइल और सोशल मीडिया की लत – दिनभर स्क्रीन पर रहने से लोगों की मानसिक एकाग्रता और नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
3. समय की कमी – परिवार और दोस्तों के साथ पर्याप्त समय न बिता पाना, सामाजिक अलगाव और भावनात्मक असंतुलन को जन्म देता है।
4. स्वास्थ्य की अनदेखी – व्यस्त दिनचर्या के कारण व्यायाम, ध्यान और उचित आहार पर ध्यान नहीं दिया जाता, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ता है।
5. स्वयं के लिए समय न निकालना – लगातार काम करने और जिम्मेदारियों में उलझे रहने के कारण व्यक्ति स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा करने लगता है।
• मोबाइल फोन और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव –
मोबाइल फोन हमारी दिनचर्या का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। लेकिन अत्यधिक मोबाइल उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है।
• मोबाइल की लत के मानसिक प्रभाव –
1. नींद में कमी – देर रात तक मोबाइल का उपयोग करने से नींद पूरी नहीं होती, जिससे मानसिक थकान बढ़ती है।
2. अवसाद और चिंता – सोशल मीडिया पर दूसरों की तुलना करने से आत्मविश्वास में कमी आती है और अवसाद बढ़ सकता है।
3. ध्यान केंद्रित करने में कमी – लगातार नोटिफिकेशन और इंटरनेट ब्राउज़िंग ध्यान भटकाते हैं और कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।
4. सामाजिक दूरी – मोबाइल पर अधिक समय बिताने से वास्तविक जीवन के रिश्ते प्रभावित होते हैं, जिससे अकेलापन बढ़ता है।
5. इलेक्ट्रॉनिक डिटॉक्स की आवश्यकता – मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, मोबाइल और डिजिटल गैजेट्स से कुछ समय की दूरी बनाकर मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है।
देहरादून में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ और परामर्श –
देहरादून में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई विशेषज्ञ कार्य कर रहे हैं। भामेश्वरी काउंसलिंग सेंटर इस क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित संस्थान है, जो लोगों को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से निपटने में सहायता प्रदान कर रहा है।
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. देवेंद्र ढल्ला कहते हैं,
“आज के व्यस्त जीवन में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना आवश्यक हो गया है। सही परामर्श और मार्गदर्शन के माध्यम से मानसिक समस्याओं से बचा जा सकता है।” यह केंद्र विशेष रूप से युवाओं और कामकाजी पेशेवरों के लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श, तनाव प्रबंधन, डिजिटल डिटॉक्स प्रोग्राम और अन्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करता है।
• मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव –
1. डिजिटल डिटॉक्स करें – मोबाइल और सोशल मीडिया के अधिक उपयोग से बचें।
2. नियमित व्यायाम करें – शारीरिक गतिविधियाँ मानसिक तनाव को कम करती हैं।
3. पर्याप्त नींद लें – 7-8 घंटे की अच्छी नींद मानसिक शांति के लिए आवश्यक है।
4. ध्यान और योग करें – ध्यान और योग मन को शांत रखते हैं और आत्म-चेतना को बढ़ाते हैं।
5. खुलकर बात करें – यदि किसी मानसिक समस्या का सामना कर रहे हैं, तो परामर्शदाता से बात करें।
6. संतुलित जीवनशैली अपनाएँ – काम और निजी जीवन में संतुलन बनाए रखें।
आज की व्यस्त जीवनशैली और मोबाइल की लत ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। यदि समय रहते मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह व्यक्ति के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। हमें अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव लाकर मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखना होगा। डिजिटल डिटॉक्स, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और मनोवैज्ञानिक परामर्श जैसी आदतों को अपनाकर हम एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं।
यदि आप या आपका कोई परिचित मानसिक तनाव, चिंता या अवसाद से जूझ रहा है, तो मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। डॉ. देवेंद्र ढल्ला, वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक