ठेली-खोमचे व्यवसायियों को सहकारी बैंकिंग से जोड़कर उनके लिए खाता खोलने और छोटे ऋण उपलब्ध कराने की योजना,
प्रदेश के 17,000 स्कूलों के खाते जिला सहकारी बैंकों में स्थानांतरित कराना
देहरादून। मियावाला स्थित निबंधक कार्यालय सभागार में सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय सहकारिता समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेश के सभी 13 जनपदों के जिला सहायक निबंधक, व सहकारी बैंकों के सचिव, महाप्रबंधक वर्चुअलमाध्यम से जुड़े।
बैठक की शुरुआत प्रदेश के जिला सहकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए की विस्तृत जनपदवार समीक्षा से हुई। मंत्री डॉ. रावत ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि एनपीए को 5% से कम करने के लिए समयबद्ध, परिणामोन्मुखी रणनीति तैयार की जाए, और उसके क्रियान्वयन की सतत मॉनिटरिंग की जाए। उन्होंने चेताया कि यदि तय मानकों के अनुरूप कार्य नहीं हुआ, तो जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई से भी परहेज़ नहीं किया जाएगा।
महत्वपूर्ण निर्देश
बहुउद्देशीय समितियों के गठन, बिजनेस प्लान निर्माण, ऑडिट प्रक्रियाओं की पारदर्शिता तथा पैक्स कम्प्यूटरीकरण की गति बढ़ाने के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए।
“सहकार मंथन” विषय पर अपर निबंधक ईरा उप्रेती द्वारा और गुजरात सहकारी भ्रमण कार्यक्रम पर प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन की प्रबंध निदेशक मंगला त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुतिकरण भी दिया गया।
राज्य में सहकारिता के आगामी रोडमैप को लेकर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। डॉ. रावत ने स्पष्ट किया कि वे अब स्वयं सभी जनपदों में जाकर डीएम, सीडीओ, निबंधक व सचिव सहकारिता की उपस्थिति में जिला-स्तरीय सहकारिता समीक्षाएं करेंगे। इसकी शुरुआत हरिद्वार जनपद से होगी और इसके लिए एक समीक्षा कैलेंडर भी तैयार किया जा रहा है।
सहकारिता को जनसहभागिता से जोड़ने की पहल
डॉ. रावत ने सहकारिता को जमीनी स्तर पर मजबूत करने हेतु कई अभिनव योजनाएं प्रस्तुत कीं:
ठेली-खोमचे व्यवसायियों को सहकारी बैंकिंग से जोड़कर उनके लिए खाता खोलने और छोटे ऋण उपलब्ध कराने की योजना, जिससे उनके व्यापार को गति मिले और बैंक को भी लाभ हो।
प्रदेश के 17,000 स्कूलों के खाते जिला सहकारी बैंकों में स्थानांतरित कराना – इसके लिए शिक्षा अधिकारियों और प्रधानाचार्यों से समन्वय किया जाएगा।
25,000 टीबी मरीजों को गोद लेकर उनके बैंक खाते खोलना, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
3 लाख डिग्री कॉलेज छात्रों को सहकारिता बैंकिंग से जोड़ना, जिससे युवाओं में आर्थिक सशक्तिकरण की भावना पैदा हो।
डॉ. रावत ने आगे बताया कि शीघ्र ही थीम आधारित सहकारिता मेले, डिजिटल सुझाव पोर्टल, और जनपद, प्रदेश स्तरीय मासिक पत्रिका के माध्यम से सहकारी जागरूकता को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।
डॉ. रावत ने कहा, “बहुउद्देशीय प्राथमिक सहकारी समितियां सहकारिता विभाग की आत्मा हैं, अतः इन समितियों में प्रशिक्षित और योग्य सचिवों की नियुक्ति हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
कार्यप्रदर्शन पर कड़ी निगरानी
उन्होंने वीर माधौ सिंह भंडारी सामूहिक सहकारी खेती योजना की धीमी प्रगति पर नाराजगी जताई और संबंधित नोडल अधिकारियों को कार्यवाही तेज करने के निर्देश दिए। साथ ही यह भी कहा कि “जिन जिलों में सहकारी बैंक कर्मचारियों का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है, वहां मूल्यांकन के बाद आवश्यक हुआ तो जबरन सेवानिवृत्ति जैसे कठोर निर्णय भी लिए जा सकते हैं।”
डॉ. रावत ने कहा कि उत्तराखंड में सहकारिता को एक मॉडल सेक्टर बनाने हेतु गुजरात, केरल और कर्नाटक जैसे राज्यों के सफल मॉडल का अध्ययन कर उन्हें यहां लागू किया जाएगा।सचिव सहकारिता डॉ. बीवीआर पुरुषोत्तम ने बैठक के दौरान स्पष्ट किया कि निबंधक सहकारिता हर सप्ताह मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों की जनपदों के नोडल अधिकारियों से साप्ताहिक समीक्षा करें । उन्होंने कहा कि “सहकारिता मंत्री द्वारा प्रस्तावित जनपद समीक्षा बैठकों के लिए शीघ्र ही विस्तृत समीक्षा कैलेंडर जारी किया जाए।
निबंधक सहकारिता डॉ. मेहरबान बिष्ट ने कहा कि सभी जिला सहायक निबंधक एवं सचिव-महाप्रबंधक को नए खाते खोलने, लोगों को जोड़ने, एवं चौपालों के माध्यम से सहकारी जागरूकता अभियान चलाने होंगे। उन्होंने गुजरात एक्सपोजर विजिट और देहरादून सहकार मंथन के बिंदुओं पर प्रगति रिपोर्ट तैयार करने और स्थानीय स्तर पर उनके क्रियान्वयन की बात भी कही।
समीक्षा बैठक में सचिव सहकारिता डॉ. बीवीआर पुरुषोत्तम, निबंधक सहकारिता डॉ. मेहरबान बिष्ट, अपर निबंधक ईरा उप्रेती, आनंद शुक्ल, प्रबंध निदेशक मंगला त्रिपाठी, उप निबंधक रमिन्द्री मंदरवाल, जिला सहायक निबंधक मुख्यालय राजेश चौहान, मोनिका चुनेरा समेत वर्चुअल माध्यम से सभी जनपदों के जिला सहायक निबंधक, सहकारी बैंक सचिव महाप्रबंधकगण उपस्थित रहे।